Thursday, January 24, 2013

मेरी कविता राग नहीं संवाद है

मेरी कविता राग नहीं संवाद है
नहीं प्रशंसा की इस में फरियाद है
दूर प्रलोभन की कारा के फंदों से
मुक्त गगन में उड़ने को आजाद है

जिसको भली लगे वो दिल में रख लेना
जिसको लगे बुरी वो दिल पर मत लेना
शान्त भाव से पढ़ना अन्तर्नाद है
मेरी कविता राग नहीं संवाद है

इसमें नहीं बन्दना कोई ताजों की
इसमें पीड़ा है भूखे मोहताजों की
सच कहने का यह अपना अंदाज है
मेरी कविता राग नहीं संवाद है

कहीं-कहीं पाओगे इसमें क्रोध है
और कहीं पर सदियों का प्रतिशोध है
यह गूंगों की बोली है, आवाज है
मेरी कविता राग नहीं संवाद है

इसमें निर्बल के आंसू की धार है
दुष्ट, कमीनों को इसमें ललकार है
यह बलिदानी भाषा है, अनुवाद है
मेरी कविता राग नहीं संवाद है

यह भूषण, दिनकर, गुप्तों की वाणी है
यह भारत के आरत को कल्याणी है
राष्ट्रप्रेम है और न कोई वाद है
मेरी कविता राग नहीं संवाद है

मैं गाता हूँ सोते हुए जवानों को
गाऊँगा वेवश मजदूर किसानों को
अन्धी आजादी में जो बरबाद है
मेरी कविता राग नहीं संवाद है

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