Thursday, January 24, 2013

जाग उठो अब तो वीरो, भारत मां तुम्हें पुकारती

जाग उठो अब तो वीरो, भारत मां तुम्हें पुकारती।
उठो क्षत्र-रक्षक की जननी, लिए थाल में आरती।
करो तिलक पुत्रों का अपने
संकट है निज आन पर।
भरो वीरता उनमें इतनी
मिट जायें वे शान पर।
चढ़ जायें बलिवेदी पर
भारत हित रख कर ध्यान में।   
शिरोच्छेद से पूर्व न जायें
कभी कटारें म्यान में।
भरो जोश  ऐसा, जैसा भरता अर्जुन का सारथी।
जाग उठो अब तो वीरो.........................
जग को दुष्ट बिहीन बना दो
तलवारों की धार से।
रक्तिम नदी बहे धरती पर
बर्छी और कटार से।
कोलाहल मच जाये जग में
महादेव हुंकार से।
पट जाये सारी ही पृथ्वी
वीरों की पुकार से।
हो जायें हम एक सभी, हो नाम सभी का भारती।
जाग उठो अब तो वीरो.........................
खाते हैं वे भारत मां का
गीत पाक के गाते हैं।
उसकी शह पर ही ये दानव
उग्रवाद फैलाते हैं।
हम नहीं भूले सन् सैंतालिस
भारत मां को तोड़ दिया।
हर हिन्दुस्थानी मन का
विश्वास घड़ा ये फोड़ दिया।
लेकिन दुष्टो यह याद रखो, तब की कुछ नीति उदार थी।
जाग उठो अब तो वीरो.................................
एक नये भारत का सपना
भारतीय के मन में हो।
नहीं वक्त ज्यादा लगना
तब हिन्दुस्थान अमन में हो।
अरबों, मुगलों, अग्रेंजों ने
भारत मां को लूटा है।
कई बार हिन्दू का रक्षक
सोमनाथ भी टूटा है।
बदला लो हर एक घाव का मातृभूमि चिंघारती।
जाग उठो अब तो वीरो.......................
बचे न डायन कहने वाला
भारत मां को देश में।
खुलेआम ना घूमे कोई
आतंकी के वेश में।
आतंकी टोली का मित्रो
कहीं न नाम-निशान हो।
द्रोही ध्वज ना दिखें कहीं भी
भगवा ध्वज की शान हो।
घण्टे और घडि़याल बजें हो हर मन्दिर में आरती।
जाग उठो अब तो वीरो भारत माँ तुम्हें पुकारती.

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